लग जा गले.. Revived
लग जा गले के फिर ये हसीन रात हो ना हो.. शायद फिर इस जनम़ मे, मुलाकात हो ना हो.. ------original by Raja mehandi ali khan-- (हम को मिली हैं आज ये घड़ियाँ नसीब से जी भर के देख लीजिये, हमको करीब से फिर आप के नसीब में, ये बात हो ना हो शायद फिर इस जनम़ मे, मुलाकात हो ना हो.. पास आईये के हम नहीं आयेंगे बार-बार बाहें गले में डाल के, हम रो लें जार-जार आँखों से फिर ये प्यार की बरसात हो ना हो शायद फिर इस जनम़ मे, मुलाकात हो ना हो..) ------added by Vikram wadkar भुले नहीं है हम कभी, मुलाकात वो हसीन.. यादो मे आके झांक लो, देखोगे खुदको ही.. दिल में छुपे अल्फाज़ को,ईर्शाथ हो ना हो.. शायद फिर इस जनम़ मे, मुलाकात हो ना हो.. सुनलो अगर जो सुन सको,निगाहो की दास्तां.. मिलते हमें वो लफ्ज अगर, तो करते हम बयाॅ.. जी लो अभी के कल कमी, कायनात हो ना हो.. शायद फिर इस जनम़ मे, मुलाकात हो ना हो.. --विक्रम वाडकर 2018/03/17 11:48