वंदे मातरम्
फिर आये है लोग यहा पर सिने पे तिरंगा लगाके, सफेद रंग के कपडे पेहनकर १ दिन का देशप्रेम जगाके... दिन रात से खडे है जो सरहद्द पर वो वीर जवान.. वही तो सारे बचा रहे है, देश हमारा हिंदुस्थान.. उन जवानो का सिना जब खाता है गोली गोली.. तब जाकर हम पाते है, ईद, मुहरम, दिवाली.. कुछ बेटे देकर भी मा जब अपना देश बचाती है.. पता नहीं है ये हिम्मत वो किस भगवान से पाती है.. गीरा रहे है रोज वहा..मिट्टी पर जो लाल लहू.. याद मे उनके तडप रहे है.. मा,पत्नी,बेटी,बहू.. सो रहे हम रातो को सुख चैन के सपने लिये.. मौत गले लगाते है वो ताकीं उनके अपने जीए.. तिरंगे मे है ३ रंग ये गलत सीख रहे है हम.. चौथे लाल रंग बिना, कैसे कहे वंदे मातरम् ..... विक्रम वाडकर