नारी

जिसकी पिडा से, तेरा जन्म है..
उसकी सेवा ही, तेरा धर्म है..

अपने भाई का, चाहती हित है..
उसकी रक्षा ही, तेरी प्रित है..

हर एक संकट मे, जो देती साथ है..
दुख की बोलो तब, क्या औकात है..

वही आदी है, वही शक्ती है,
उसका आदर ही, उसकी भक्ती है..

जो नारी को माने, अपना हमदर्द है..
उसकी इज्जत रखे.. वही सच्चा मर्द है..

- विक्रम वाडकर..
इज्जत बचाओ.. इज्जत बढाओ..

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