दास्तां...
खुषनुमां सी थी जो जिंदगी ...
रौनके तुझसे थी जगी..
बेजुबां सा जो ये कारवाँ..
अश्को से करतीे बयाँ,दास्ताँ.. पलके यहाँ..
दर्द का है सिलसिला..
तेरी यांदो से मिला..
सासो से सासो का ये रिश्ता.. खो रहा..
अश्को से करतीे बयाँ,दास्ताँ.. पलके यहाँ..
अंजुमन मे रहती थी.. जो छंवी..
दोज़ख़ भरी नजरों मे.. जल रही..
रूह मेरी जिस्म से कहे.. कर दे रिहाँ..
अश्को से करतीे बयाँ,दास्ताँ.. पलके यहाँ..
- विक्रम वाडकर (१५-एप्रिल-१५)
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