ओ रहनुमा.. मेरे जहऩसीब..

ओ रहनुमा.. मेरे जहऩसीब..
रब की नेमत है..जो तु है करिब़..
तेरी आगोश मे है जन्नत मेरी..
ओ रहनुमा.. मेरे जहऩसीब..

तेरी वो मिठी मिठी बाते...
यादो मे कटी वो लंबी लंबी राते...
सरगोशी से कहे हवा..ओ रहनुमा..
ओ रहनुमा.. मेरे जहऩसीब..

शरम से बोझ़ल तेरी पलके..
जिनमे छुपे है राज़ कल के..
तुझसे जुडा है मेरा कारवाँ..ओ रहनुमा..
ओ रहनुमा.. मेरे जहऩसीब..

तुझसे इश्क करने का किया है गुनाह..
तेरे दिल के कोने मे देदो अब पनाह..
तु ही खुदा, तु ही जहाँ..ओ रहनुमा..
ओ रहनुमा.. मेरे जहऩसीब..
-विक्रम वाडकर ३०-एप्रिल-२०१५

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