रूबरू हुए जिस्म से.. रूहाना बन गए हो..

नज़रो से दिल की बाते.. यु बयाँ कर रहे हो..
रूबरू हुए जिस्म से.. रूहाना बन गए हो..

तन्हा रहके तन्हाईयोसे.. गुफ्तगू थोडासा कर लू..
दिलो की रंजिशो का.. बहाना बन गए हो...

सितम ढाती हो लाखो.. मदभरे नैनो से तुम..
मदिरा की बुंद से अब.. मैखाना बन गए हो..

बंजर हुई थी धरती.. ख्वाबो के अंजुमन मे..
जिंदगी से जुड गए हो.. सुहाना बन गए हो..

रुक्सार हुआ मंजिलो से.. जबसे मिले हो मुझको..
शमा की लौ से बढकर.. परवाना बन गए हो..

- विक्रम वाडकर 22/05/2015 05:42 pm

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