आरजू

चेहरे पे जो पडी, 
कुछ़ बुँदे बारीश कि..
इस दिल ने फिर तुझे, 
पाने की साझीश की..
निगाहो से बयान 
हो गई सारी उल्फते..
बाहो मे जो तू आयी, 
पा ली है सारी जन्नते..
जन्नतो से परे, 
बनाएंगे एक जहां..
तेरे मेरे प्यार का, 
एक नया आशियाँ..
आशियाने के बगल मे 
चाँद-तारे बांध लू..
कर दू पुरे ख्वाब तेरे, 
तेरे दिल की आरजू..
तू हि मेरी जुस्तजू.. 
पुरी कर दू आरजू..

-विक्रम वाडकर १४-७-१४

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