तु आशिकी, तु बंदगी है.. तु जिंदगी, तु हर खुशी है..

बिन कहे.. बिन सुने.. बात हो गई खामोशी से..
तेरी मेरी.. मेरी तेरी.. दुनिया एक हो गई सरगोशीं  से..
मिलन को तरस गये है ये नैन मेरे..
अब मदहोशी मे कहने लगे है..
तु आशिकी, तु बंदगी है..
तु जिंदगी, तु हर खुशी है..

बहने लगी जबसे सर्द हवाए..
नगमे सुना रही है ये घटाए..
कुछ़़ हसीन सा लगने लगा है समा..
जिसमे जादू कर रही है तेरी अदां..
इशारें समझ आँखो के मेरे..
तु आशिकी, तु बंदगी है..
तु जिंदगी, तु हर खुशी है..

सवांर लू मेरी हर बेखुदी को..
तेरे दिल से जुडी हर बंदीशो को..
दिल पतंगे सा उडने लगा है..
मचल-मचल के मुझसे ये कह रहा है..
दिल की कही अपनी, बयाँ कर दे..
तु आशिकी, तु बंदगी है..
तु जिंदगी, तु हर खुशी है..

-विक्रम वाडकर(०३-११-२०१४)

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